The 5-Second Trick For Shodashi

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एकान्ते योगिवृन्दैः प्रशमितकरणैः क्षुत्पिपासाविमुक्तैः

षट्कोणान्तःस्थितां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥६॥

कामेश्यादिभिरावृतं शुभ~ण्करं श्री-सर्व-सिद्धि-प्रदम् ।

In the context of electricity, Tripura Sundari's elegance is intertwined together with her toughness. She's not just the symbol of aesthetic perfection but will also of sovereignty and overcome evil.

ह्रीं ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं

अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने here पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

संरक्षार्थमुपागताऽभिरसकृन्नित्याभिधाभिर्मुदा ।

या देवी दृष्टिपातैः पुनरपि मदनं जीवयामास सद्यः

हस्ते पाश-गदादि-शस्त्र-निचयं दीप्तं वहन्तीभिः

यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।

संकष्टहर या संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि – sankashti ganesh chaturthi

, sort, in which she sits atop Shivas lap joined in union. Her traits are limitless, expressed by her 5 Shivas.  The throne on which she sits has as its legs the five sorts of Shiva, the renowned Pancha Brahmas

मन्त्रिण्या मेचकाङ्ग्या कुचभरनतया कोलमुख्या च सार्धं

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